शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

यमुना तट पर शरदोत्सव

 ....बही काव्य की रसधारा 
राजधानी दिल्ली के यमुना तट पर बने सूरघाट पर गत 9 अक्तूबर की रात काव्य की ऐसी धारा बही कि लोग सबकुछ भुलाकर आधी रात तक वहीं डटे रहे। अवसर था, संस्कार भारती, दिल्ली द्वारा आयोजित ‘शरद काव्योत्सव’ का। महर्षि बाल्मीकि जयंती एवं शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मंत्रमुग्ध कर देने वाली कविताओं के पाठ के साथ-साथ सुप्रसिद्ध कवि श्री ओम अम्बर को ‘पू. गुरु गोलवलकर काव्य पुरस्कार’ एवं श्री नरेश शाण्डिल्य को ‘श्री गोपाल कृष्ण अरोड़ा स्मृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। 
कविता पाठ करते हुए श्री गजेन्द्र सोलंकी तथा मंचस्थ कविगण
कार्यक्रम का शुभारम्भ अध्यक्षता कर रहे दिल्ली के पूर्व राज्यपाल श्री विजय कपूर, संस्कार भारती के अ.भा. संरक्षक श्री योगेन्द्र उपाख्य ‘बाबा’, स्वागताध्यक्ष श्री रोशनलाल गोरखपुरिया एवं दिल्ली की महापौर श्रीमती रजनी अब्बी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात संस्कार भारती के कार्यकर्ताओं ने मधुर संगीत के साथ ध्येय गीत ‘साधयति संस्कार भारती, भारते नवजीवनम्’ का गान किया। इसके बाद अतिथियों ने सुप्रसिद्ध कवि श्री ओम अम्बर को स्मृति चिह्न, शाल, श्रीफल एवं 11 हजार रुपए देकर ‘पू. गुरु गोलवलकर काव्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया। इसी तरह श्री नरेश शाण्डिल्य को भी ‘श्री गोपाल कृष्ण अरोड़ा स्मृति सम्मान’ देकर सम्मानित किया गया। तदुपरांत श्री विजय कपूर ने अपने संबोधन में कहा कि आज देश के सामने विश्वास का बहुत बड़ा संकट है। विश्वास का वातावरण समाप्त हो गया है। परन्तु आज से 50 साल पहले यह संकट हमारे सामने नहीं था। समाज में विश्वास को जागृत करना आज बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन आधुनिक समाज में विश्वास बहुत जरूरी है। श्री योगेन्द्र उपाख्य ‘बाबा’ ने उपस्थित गण्यमान्य नागरिकों का अभिनंदन करते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा की इस बेला में आज आसमान से अमृत की वर्षा होगी, जो हम पर बरसेगा। हमें भारतमाता के सपूतों का जगाने का श्रेष्ठ कार्य मिला है, जिसे हम पूरी तन्मयता से कर रहे हैं। इस अवसर पर संस्कार भारती के अ.भा. सह-संगठन मंत्री श्री अमीरचंद, आदि सहित बड़ी संख्या में दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से आए काव्य प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संस्कार भारती, दिल्ली के मंत्री (संगठन) श्री जितेन्द्र मेहता ने किया। 
औपचारिक कार्यक्रम के बाद कवि सम्मेलन हेतु मंच प्रसिद्ध कवि श्री राजेश जैन ‘चेतन’ को सौंप दिया। इसके बाद हंसी-ठहाके का जो क्रम शुरू किया, वह आधी रात तक यूं ही चलता रहा। कवियों ने देशभक्ति, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अवैध घुसपैठ आदि से संबंधित कविताओं का ह्दय को छू जाने वाला पाठ किया। कवियों में प्रसिद्ध कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी, भोपाल से आए श्री मदन मोहन ‘समर’, सरदार मंजीत सिंह, सुश्री ऋतु गोयल विशेष रूप से थे। श्री गजेन्द्र सोलंकी की कविता ‘युगों-युगों तक इस धरती पर भारत मां की शान रहे’, ‘बचा लो अपना हिन्दुस्थान’ एवं श्री मदन मोहन ‘समर’ की कविता ‘जब भारत की रक्षा करने हेतु खाकी वर्दी लाल हुई’ पर तो लोगों ने खूब तालियां बजाईं और कवियों का हौंसला बढ़ाया। 
   

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